Stock Market vs Real Estate in Hindi | स्टॉक मार्केट vs रियल एस्टेट | 2 में से कहाँ निवेश करे

Stock Market vs Real Estate in Hindi | स्टॉक मार्केट vs रियल एस्टेट | दोनों में से कहाँ निवेश करे

नमस्कार दोस्तो , स्वागत है आपका Stockstak.com में आज हम इस आर्टिकल में हम, रियल इस्टेट vs स्टॉक्स मार्केट दोनों में से कौन सा निवेश करने के लिए अच्छा रहेगा ये देखेंगे ।

Stock Market vs Real Estate : इन्वेस्टमेंट करने से पहले हम बहुत रिसर्च करते हैं और करें भी क्यों ना आखिर हमारी लाइफ सेविंग्स का जो सवाल है । अपनी रिसर्च के टाइम हम अलग-अलग ऐसे क्लासेस को एनालाइज करते हैं और देखते हैं कि कहां कितनी लिक्विडिटी है । कौन सा Asset ज्यादा वोलेटाइल है और कहां पर ज्यादा इनिशियल इन्वेस्टमेंट लगेगी ।

इन जैसे Questions को Answer करने के बाद ही हम अपना निर्णय लेते हैं, इस प्रक्रिया में दो ऐसे इन्वेस्टमेंट पर्याय होते हैं, जहां इन्वेस्टर्स ज्यादा Time Spends याने की ज्यादा वक्त देते है , एक ही स्टॉक मार्केट और दूसरा रियल इस्टेट ज्यादा टाइम इसीलिए लगता है क्योंकि दोनों ही Asset क्लासेस के अपने फायदे और लिमिटेशन है । कहीं आपको डायवर्सिफिकेशन का एडवांटेज मिल रहा है तो कहीं हाई एंट्री कास्ट का बेरियर ।

तो फिर किसका चयन करें रियल एस्टेट या स्टॉक मार्केट ?
डाटा की तरफ देख तो इंडिया में रियल एस्टेट इंडस्ट्री (Real Estate Industry) का मार्केट साइज 2008 में 50 बिलीयन डॉलर्स पर था । वह 2030 तक वन ट्रिलियन डॉलर्स पर पहुंचने वाला है । तो दूसरी तरह देखा जाए तो निफ्टी लार्ज कैप इंडेक्स (Nifty Large Cap) ने पिछले 10 सालों में 10.9% के Annual रिटर्न दिये हैं । वो सब चाइना और यूएस मार्केट से ज्यादा है । देखा जाए तो स्टॉक मार्केट (Stock Market) और रियल एस्टेट (Real Estate) दोनों ही जबरदस्त (Lucrative) इन्वेस्टमेंट पर्याय है ।

Stock Market vs Real Estate in Hindi
Stock Market vs Real Estate in Hindi

लेकिन आपको कहां निवेश करना चाहिए यह तभी समझ में आयेगा जब आप दोनों के बीच के अंतर को अच्छे से समझते हो । और आज के आर्टिकल में हम वो ही देखने वाले है । तो आज के आर्टिकल में हम निम्न विषयों के बारे मे देखने वाले है । Stock Market vs Real Estate में हम 5 मुख्य पॉइंट्स पर चर्चा करने वाले है ।
1) रियल एस्टेट में निवेश करने के विभिन्न तरीके
2) रियल एस्टेट निवेश से रिटर्न्स की उम्मीद
3) इक्विटी की श्रेणियों उनके बराबर पूंजीकरण के आधार पर
4) स्टॉक मार्केट रिटर्न्स (Stock Market Returns) को समझना
5) रियल एस्टेट बनाम स्टॉक मार्केट (Real Estate vs Stock Market)

1) रियल एस्टेट में निवेश करने के विभिन्न तरीके :

रियल एस्टेट खरीदना (Puchasing Real Estate) :
रियल एस्टेट में निवेश करने का यह सबसे पारंपरिक (Conventional) और सीधा साधा तरीका है ।
जहां खरीददार कोई प्रोपर्टी खरीदते है और उसे लंबे समय तक रखते है । आप अपने प्राथमिक लक्ष्य के हिसाब से , और आपके पास कितने पैसे है उसके हिसाब से आप ऑफिस और गोदाम जैसी कमर्शियल प्रॉपर्टीज या फ्लैट्स और प्लॉट्स जैसे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज खरीद सकते हैं थे ।

खरीदना और बेचना (Buying & Sell) :
ये एक कम समय के लिए खरीदना और बेचना कर सकते है । जिसमें निवेशक एक उच्च मेंटेनेंस हाउस खरीद करते हैं, और उसे ठीक ठाक करके ज्यादा कीमत पर बेच कर देते हैं । इस तरह निवेशक अपनी एस्टेट की कीमत बढ़ाने के साथ मार्केट के वो अभी चल रहा फायदा है वो भी पा सकते है ।

REITs और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट :
REITs और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट, REITs के माध्यम से अप्रत्यक्ष और निष्क्रिय प्रक्रिया होती है ।
जहां आपको म्युचुअल फंड (Mutual Funds) की तरह REITs यूनिट्स खरीदनी पड़ती है । मूल रूप से REITs ऑर्गेनाइजेशन होती है, जो रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज जैसे की होटल ,मॉल और ऑफिस बेसिस के पोर्टफोलियो को कंट्रोल और मैनेज करते हैं ।

आधारभूत संरचना निवेश ट्रस्ट InvITs (Infrastucture Investment Trusts) :
InvITs ऐसी कंपनी होती है जो ब्रिज और रोड्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्ति के पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं । यहां भी आपको म्युचुअल फंड की तरह ही यूनिट्स खरीद करने पड़ते ।

 

2) रियल एस्टेट निवेश से रिटर्न्स की उम्मीद :

चलिए अब रियल एस्टेट से मिलने वाले रिटर्न की बात करते हैं, पहला पॉइंट यह है की रियल एस्टेट के रिटर्न हाई इन्फ्लेशन को बीट कर सकते हैं साथ ही रियल एस्टेट रिटर्न को डिटरमिन करने में लोकेशन एक प्रायमरी फैक्टर होता है । और क्योंकि मार्केट प्राइस इस कांस्टेंटली फ्लकचुएट करते हैं इसीलिए रिटर्न को प्रिडिक्ट करना बहुत डिफिकल्ट होता है , अगर आप प्रॉपर्टी में रहने की इंटेंशन से रियल एस्टेट परचेज करते हैं तो उसे इन्वेस्टमेंट नहीं कहा जा सकता क्योंकि उससे आपको कोई फाइनेंशियल गेन नहीं हो रहा है ।

3) इक्विटी की श्रेणियों उनके बराबर पूंजीकरण के आधार पर :

रियल एस्टेट इन्वेस्टिंग स्टॉक के कंपैरिजन में बहुत ज्यादा कीमती है, क्योंकि प्रॉपर्टी के लिए आपको बड़े डाउन पेमेंट की जरूरत पड़ती है, इसीलिए जब आपको लार्ज अमाउंट इन्वेस्ट करना हो तब ही आपको रियल एस्टेट की तरफ जाना चाहिए ।

 

4) स्टॉक मार्केट रिटर्न्स (Stock Market Returns) को समझना :

इन्वेस्टिंग इन स्टॉक मार्केट केपीटलाइजेशन के बेसिस पर स्टॉक की तीन श्रेणिया होती है, लार्ज कैप (Large Cap), मिड कैप (Mid Cap ) और स्मॉल कैप (Small Cap)

लार्ज कैप स्टॉक्स (Large Cap Stocks ) : मार्केट कैप सबसे ज्यादा बड़े 100 स्टॉक्स को Large Cap स्टॉक्स मे शामिल किया जाता है । यह वेल इस्टैबलिश्ड (Well Established) कंपनी होती है, जो अपनी रिस्पेक्टिव मार्केट को डोमिनेट करती हैं । और Revenue के टर्म में पूरी कंट्री में सबसे बड़ी होती है ।

मिड कैप स्टॉक्स (Mid Cap Stocks ) : जो मार्केट कैप के टर्म में टॉप 101 तो 250 स्टॉक होते हैं जनरली यह वह बिजनेस होते हैं । जिनकी मार्केट Capitalisation 8000 करोड़ से 25000 करोड़ों के बीच होती है , मिड कैप स्टॉक्स के पास लार्ज कैप (Large Cap) के तुलना में अच्छा Growth Potential होता है । और वह आगे चलकर लार्ज कैप (Large Cap) में डेवलप भी हो सकते हैं ।

स्मॉल कैप स्टॉक्स (Small Cap Stocks) : स्मॉल कैप स्टॉक्स की बात करें तो मार्केट कैप (Market Cap) के टर्म में 251 और उससे नीचे रैंक करने वाले स्टॉक को स्मॉल कैप स्टॉक्स समझा जाता है ।
स्मॉल कैप स्टॉक्स (Small Cap Stocks) बहुत ही वोलेटाइल स्टॉक्स होते हैं, लेकिन वह लार्ज कैप (Large Cap) और मिड कैप से ज्यादा रिटर्न Provide करने का Potential रखते हैं ।

चलिए अब स्टॉक मार्केट से मिलने वाले रिटर्न की बात करते हैं, शेयर्स को खरीद कर आप कंपनी की Ownership में कंट्रीब्यूट करते हैं, और स ए रिजल्ट बिजनेस से जेनरेटेड प्रॉफिट को आपके यानी इन्वेस्टर के बीच डिस्ट्रीब्यूशन किया जाता है । नंबर 1. डिविडेंड और नंबर 2. कैपिटल गैन यानी स्टॉक को राइट टाइम पर सेल करके आप अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते हैं ।

 

5) रियल एस्टेट बनाम स्टॉक मार्केट (Real Estate vs Stock Market) :

इसमे हम 7 मुख्य पॉइंट्स देखने वाले है ।

 कम से कम निवेश (Minimum Investment) : रियल एस्टेट के कंपैरिजन में स्टॉक आपको Easily एक्सेसिबल होते हैं, क्योंकि स्टॉक्स के लिए आपको काम कैपिटल के आवश्यकता होती है,
कंपनी की मार्केट Valuetion के रिगार्डिंग स्टॉक को आप किसी भी कीमत पर खरीद कर सकते हैं,
लेकिन रियल एस्टेट में ऐसा नहीं है वहां आपको ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ती है यह अमाउंट प्रॉपर्टी की वर्थ और लोकेशन नुसार बदलता रहता है । फिर भी आपको हाय डाउन पेमेंट की रिक्वायरमेंट तो होती ही है ।

स्टेबिलिटी (Stability ) : अपनी एक डेफिनिटी वैल्यू और इक्विटी से कम फ्लकचुएट होने के चलते रियल एस्टेट ज्यादा स्टेबल है, प्रॉपर्टीज की वैल्यू उनकी डिमांड डेवलपमेंट और लोकेशन से अफेक्टेड होती है ।
जो की टिपिकली कंसिस्टेंट का Predictable फैक्टर ऑन द अदर हैंड स्टॉक वोलेटाइल होते हैं,
क्योंकि वह कंपनी के परफॉर्मेंस वर्ल्ड इवेंट्स और इकोनामिक कंडीशंस जैसे वैरियेबल्स पर डिपेंड करते हैं, और यह वैरियेबल्स किसी भी टाइम सुद्दनली चेंज हो सकते हैं ।

यह भी पढे : Nifty 50 Companies List 

डायवर्सिफिकेशन (Divercification) : रियल एस्टेट के तुलना में स्टॉक्स के थ्रू आप अलग अलग सेक्टर और इंडस्ट्रीज में निवेश कर सकते हैं, और इस तरह स्टॉक से आपको ज्यादा वही आपके लिए Veriety का प्रॉपर्टीज में इन्वेस्ट करना थोड़ा डिफिकल्ट होता है ।
लेकिन आप चाहते तो REITs के माध्यम से वैरायटी का रियल एस्टेट मार्केट सेगमेंट में निवेश करके अपने रियल एस्टेट पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं ।

कैश फ्लो (Cash Flow) : इन्वेस्टर्स के लिए रियल एस्टेट ओर स्टॉक दोनों ही कमा कर देते हैं, लाभांश (Dividend) पेइंग स्टॉक से आपको क्वार्टरली हाफ इयरली या एनुअल बेसिस पर Periodic इनकम जनरेट होती रहती है ।
और रियल एस्टेट से आप Monthly रेंटल इनकम निकाल सकते हैं, लेकिन आप कीपिंग टैक्स और मॉर्टगेज पेमेंट से यह अमाउंट कम हो जाता है ।

रिटन ऑन इन्वेस्टमेंट (Return on Investments) : स्टॉक और रियल एस्टेट दोनों से ही आप अलग-अलग तरीकों से हाई रिटर्न जनरेट कर सकते हैं । अगर आपने मार्केट ट्रेंड्स का बिजनेस परफॉर्मेंस को एनालाइज करके स्टॉक में इन्वेस्ट किया है ,तब उनकी Value लॉन्ग टर्म में जरूर बढ़ती है स्टॉक के कैपिटल ग्रोथ के मुक़ाबले आप रियल एस्टेट से रेंटल इनकम जनरेट कर सकते हैं ।

लिक्विडिटी (Liquidity) : ब्रोकर और इंटरनेट प्लेटफार्म के थ्रू स्टॉक को आप बहुत ही क्विकली ट्रेड कर सकते हैं । जो की रियल एस्टेट के केस में आसान नहीं है, रियल एस्टेट के लिए आपको खरीददार ढूँढना करना पड़ता है । रियल एस्टेट की पूरी जानकारी और पूरे Documents भी पूरे करने पड़ते है । हो सकता है रियल एस्टेट में आपको हफ़्तों या महीनों तक अपनी इन्वेस्टमेंट की कीमत ना मिले ।

रिस्क असेसमेंट (Risk Assesment) : स्टॉक और रियल एस्टेट दोनों में रिस्क शामिल होती है ।
बिजनेस के कारण Situation और World Wide Economic Pattern की वजह से स्टॉक कीमत हमेशा बदलते रहते है । इसके कारण रियल एस्टेट कम Risky माना जाता है । लेकिन Property की लोकेशन और कोई कानूनी अडचण की वजह से आपको रियल एस्टेट में भी आपको रिस्क देखना पड़ता है ।

टैक्स इंप्लीकेशंस (Stocks Implications ) : स्टॉक और रियल एस्टेट में आप जितने टाइम तक इन्वेस्ट करके रखते हैं ,उसके बेसिस पर आपको टैक्स देना होता है ।
उदा; जब आप एक साल से पहले अपने स्टॉक बेचते हैं तब आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन या एसटीसी टैक्स (STC Tax) देना पड़ता है जो की 15% होता है ।लेकिन अगर आप एक साल के बाद स्टॉक बेचते हैं तब आपको 10% टैक्स देना पड़ता है ।

जिससे हम लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन या एलटीसीजी टैक्स (LTSG Tax) कहते हैं, अगर आपको प्रॉफिट 1 लाख से कम है तब आपको कोई एलटीसीजी टैक्स नहीं देना होता ।रियल एस्टेट के केस में अगर आप हाउस जैसी किसी Immovable प्रॉपर्टी को 2 साल से पहले बेच देते हैं , तब आपके टैक्स स्लैब के अकॉर्डिंग आपका रिटर्न पर टैक्स लगाया जाता है, लेकिन अगर आप 2 साल बाद उसे प्रॉपर्टी को बेचते हैं तब आपको 20.8% टैक्स देना होता है ।

 

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Hi, my name is Vaijinath Akhade and I live in pune. I'm a blogger, youtuber and long term investor. I have four years of experience in stock marketing, along with that I have some experience in finance also.

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